रविवार, अप्रैल 13, 2008

एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी और अल्ट्रासाउंड कराने से भी कुछ नहीं निकला......


डॉक्टर साहब, मेरे पेट के दाहिने हिस्से में ठीक बीचोंबीच में हमेशा दर्द रहता है। एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी और अल्ट्रासाउंड कराने से भी कुछ नहीं निकला। दवा भी खूब कराई-लेकिन दर्द ठीक नहीं हो रहा है। पेट हमेशा भारी रहता है। आंव जैसा भी आता है और एसिडिटी भी खूब रहती है। कमजोरी तो खैर रहती ही है। बताईए क्या करूं ताकि स्वास्थ्य ठीक हो।
पंडित जी
आत्मन बंधु पंडित जी,आपने जैसी समस्या बतायी है तो स्पष्ट है कि आपके ऊपर ऐलोपैथी के भरपूर प्रयोग करे जा चुके हैं,तमाम टैस्ट आदि भी करा चुके हैं किन्तु अब तक जब बीमारी ही समझ में नहीं आयी है तो उपचार तो स्वाभाविक है कि अंधेरे में तीर की भांति ही रहेंगे। माडर्न पैथोलाजी की निश्चित सीमाएं हैं उन्हें अंतिम निदान नहीं मान लेना चाहिये क्योंकि अगर आप डायग्नोसिस के अनुसार स्वस्थ हैं फिर भी अगर आप दर्द की शिकायत करते हैं तो जो आपसे संबंधित लोग हैं उन्हें या तो लगेगा कि आप बहाना करते हैं या फिर आपको दिमागी खलल है। सर्वप्रथम आप दो दिनों का मात्र जल पर उपवास करिये इसके बाद धीरे-धीरे फल व सब्जियों का रस प्रारंभ करें। फलों में अनार, बेल, पपीता, आंवला, नाशपाती, केला आदि उपयोगी हैं। सब्जियों में लौकी, कद्दू, खीरा, तोरई, नेनुआ, टिण्डा, परवल, बथुआ, पालक, हरी मेथी, चौलाई, गाजर, पत्तागोभी, मूली के हरे पत्ते आदि रुचि अनुसार लें। चार दिन इस तरह से ठोस आहार बंद रखिये तदुपरांत ठोस आहार शुरू करिये। चोकर युक्त गेहूं की दो रोटी उबली सब्जी जिसमें कि बस स्वादानुसार नमक ही हो कोई मसाला मत डालियेगा, सूप, पतला दलिया, छाछ, सलाद, अंकुरित अनाज आदि जठराग्नि के अनुसार लीजिये यानि कि जो आसानी से पच जाए। धीरे-धीरे पंद्रह दिनों में सामान्य आहार पर आइये। मांस, मछली, अण्डा, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, चाकलेट, तले भुने पदार्थ,चायनीज व्यंजन, गरिष्ठ भोजन, अत्यधिक वसायुक्त भोजन बिलकुल बंद रखें। और निम्नलिखित उपचार को लेना शुरू करिये: -
१ . प्रवाल पंचामृत रस ३ ग्राम + अम्लपित्तान्तक रस ५ ग्राम + सूतशेखर रस(साधारण) ५ ग्राम + लीला विलास रस ५ ग्राम + मुक्ताशुक्ति पिष्टी ५ ग्राम + सितोपलादि चूर्ण ३० ग्राम ; यानि कि कुल मिश्रण बनेगा ५३ ग्राम और अब इस मिश्रण की समान मात्रा की तीस पुड़ियां बना लीजिये और एक-एक पुड़िया में सुबह दोपहर शाम को एक ग्राम आंवला चूर्ण मिला कर शहद के साथ चाट लीजिये व ऊपर से दो चम्मच भूनिम्बादि काढ़ा पी लीजिये दवा लेने के आधे घन्टे तक पानी न पियें। दवाएं नाश्ता करने के बाद ही लें।
२ . दिन में सुबह आठ बजे के आसपास और शाम को चार बजे के आसपास कच्चे नारियल(गरी) २० ग्राम को मिश्री मिला कर दूध के साथ दीजिये। ये दवा खाली पेट ले सकते हैं इसके आधा घंटे बाद नाश्ता करिए यदि चाहिए तो।
३ . भोजन से दस मिनट पहले यवानी खाण्डव चूर्ण ३ ग्राम मुंह में रख कर चाटें व भोजन करने के दस मिनट बाद अविपत्तिकर चूर्ण ३ ग्राम जल से लीजिये।
लगातार दो माह तक उपचार लीजिये और विश्वास करें कि आप स्वस्थ हो जाएंगे बल्कि पहले ही सप्ताह से आप स्वयं कहेंगे कि आयुर्वेद वाकई चमत्कारिक है।

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