शनिवार, अप्रैल 26, 2008

भाईसाहब को किसी प्रेतबाधा ने जकड़ लिया है.....


डा.साहब,पिछले कुछ माह से जब से शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव हुए मेरे भाईसाहब का उसमें काफ़ी पैसा फंस गया है। पता नहीं उनके शेयर्स की स्थिति सामान्य होगी? शायद इसी कारण से वे पिछले दो माह से बहुत चिड़चिड़े हो गये हैं, जल्दी ही क्रोधित हो जाते हैं जबकि वे काफी हंसमुख हुआ करते थे, उद्विग्न रहा करते हैं, कोई भी कार्य करते हैं तो वह अव्यवस्थित सा रहता है, भूलने भी लगे हैं, नींद एकदम कम हो गयी है, रक्तचाप काफ़ी बढ़ा रहता है लेकिन वे अपनी बी.पी. की दवा लेना तक अक्सर भूल जाते हैं, सिर में दर्द बताते हैं, बातचीत में अचानक असम्बद्ध वाक्य बोल जाते हैं तथा शीघ्रता से भी कभी-कभी बोलना प्रारम्भ कर देते हैं, वजन भी गिर रहा है, नजरें भी कमजोर सी हो गयी हैं। ऐसा लग रहा है कि भाईसाहब को किसी प्रेतबाधा ने जकड़ लिया है लेकिन मैं जानती हूं कि ऐसा कुछ नहीं बल्कि ये महज मनोशारीरिक विकार है, मेहरबानी करके कोई उपचार बताएं मुझसे भाईसाहब की हालत देखते नहीं बनती।
नाज़नीन बानो,जबलपुर

नाज़नीन जी, आप फ़िक्र ना करें आपके भाईसाहब शीघ्र ही इस परेशानी से मुक्त हो जाएंगे। दरअसल आर्थिक परेशानी के चलते उन्हें ऐसी परेशानी हुई है। बाकी सारे लक्षण तो उसी से संबद्ध हैं। मैंने आपके द्वारा ई-मेल करी हुई रिपोर्ट देख लीं हैं लीजिये समस्या का समाधान प्रस्तुत है--
१ . नागार्जुनाभ्र रस २५० मिग्रा. + सूतशेखर रस(साधारण) २५० मिग्रा. + ब्राह्म रसायन २५ ग्राम को मिला कर एक खुराक बनाएं व सुबह शाम एक-एक खुराक ठंडे मीठे दूध से दें।
२ . भोजन के बाद दो गोली हिंग्वादि बटी की चूसने को दें तथा भोजन के आधे घंटे बाद दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट पिलाएं।
३ . दिन में तीन बजे के आसपास प्रवालपिष्टी २५० मिग्रा. + मुक्ताशुक्ति पिष्टी २५० मिग्रा. को एक मुनक्के में भर कर दें और यदि मुनक्के में बीज हो तो उसे निकाल कर फेंक दें।
४ . रात्रि में सोने से पहले दस ग्राम ब्राम्हीघृत दूध में मिला कर पिलाएं।
मांसाहार का सर्वथा परहेज करवाएं, अधिक तैलीय और मसालेदार भोजन से दूर रखें, घर का वातावरण खुशनुमा बनाएं रखने का प्रयत्न करें। इस औषधि व्यवस्था को दो माह तक जारी रखिये विश्वास रखिये कि आपके भाईसाहब अवश्य स्वस्थ हो जाएंगे।

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