शुक्रवार, अप्रैल 18, 2008

हर्पीज़(HERPES) नामक बीमारी है.....

डा.साहब,नमस्कार; पिछले दो दिनों से 100-101 तक बुखार है, दोनो बाहों के बगल में गांठें सी बन गईं हैं, सीने पर तेज जलन और दर्द के साथ छोटे-छोटे कुछ फफोले से उभर आये हैं जो कि एक कतार या मालानुमा दिख रहे हैं, ऐसा दर्द है जैसे कि कोई कैंची से काट रहा हो। घर के लोगों ने कहा कि मकड़ी के काटने से ऐसा हुआ होगा लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा हुआ है अतः डाक्टर को दिखाने से पहले ही मेरे एक मित्र ने बताया कि यह हर्पीज़(HERPES) नामक बीमारी है जिसका यदि सही इलाज न हुआ और फफोलों को घेरा पूरे सीने से होता हुआ पीठ तक जाकर पूरा हो गया तो मौत तक हो सकती है। मैं बहुत डर गया हूं मुझे अपने कई पुराने अनुभवों के कारण एलोपैथी पर विश्वास नहीं रहा है अतः तत्काल कोई कारगर इलाज बताइये।
जयंत कुलकर्णी,नासिक(महाराष्ट्र)
जयंत जी,आयुर्वेद पर विश्वास दिखाने के लिये धन्यवाद वरना तो लोग पहले एलोपैथी की शरण में ही जाते हैं और जब रोग लाइलाज अवस्था में आ जाता है तब आयुर्वेद के पास आते हैं। ये सत्य है कि आपकी बीमारी तकलीफ़ देने वाली है लेकिन डरिये मत आप शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगे। यह एक विषाणु का संक्रमण है जो कि असाध्य तो हरगिज नहीं है तो लीजिये प्रस्तुत है आपकी समस्या का समाधान--
१ . स्थानीय लेप(local application) के लिये गाय का घी २० ग्राम + सहजन(drum stick) या मुनगा के पत्तों की चटनी २० ग्राम + गंधक १० ग्राम + यशद भस्म ५ ग्राम मिला कर खूब घोंट कर मलहम जैसा बना लीजिये और दिन में कम से कम तीन बार लगाइये।
२ . गिलोय सत्त्व २५० मिग्रा. + चिरायता चूर्ण २५० मिग्रा. + अनंतमूल चूर्ण २५० मिग्रा. + गंधक रसायन २५० मिग्रा. रसमाणिक्य ५० मिग्रा.
इन सारी औषधियों को भली प्रकार घोंट कर एक मात्रा बनाएं व इसी अनुपात में अनुमानतः २० दिन की मात्रा बना लीजिये व सुबह- दोपहर व रात को एक-एक मात्रा को गाय के एक चम्मच घी में एक चम्मच मिश्री(खड़ी शक्कर) मिला कर लें।
मात्र तीन दिनों में आपको चमत्कारिक लाभ दिखने लगेगा किंतु बीस दिन तक दवा अवश्य लें ताकि रक्त शुद्धि हो जाये। आहार में सुपाच्य भोजन लीजिये और तेल मसाला तथा मांसाहार बंद कर दें जब तक औषधि लें।

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