शनिवार, अप्रैल 19, 2008

फफोले(छाले) निकल आते हैं, डायग्नोसिस में Impetigo Eczematidus Bulla रोग लिखा है

आदरणीय डा.साहब,नमस्कार, पिछले बीस दिनों से अजीब से रोग से परेशान हूं। शरीर के किसी भी भाग में त्वचा पर फफोले निकल आते हैं और कुछ दो या तीन दिन में अपने आप फूट जाते हैं इन छालों के फूटने से बहुत तेज जलन और दर्द होता है। जैसे कि जल जाने के बाद छाले बन जाते हैं ठीक वैसे ही छाले हैं। इन छालों का रंग कुछ काला-लाल है और छालों की त्वचा कुछ मोटी से जान पड़ती है अंदर कुछ पीला सा पानी जैसा तरल भरा रहता है। एलोपैथी के डाक्टर ने दस दिन तक दवाएं दी लेकिन मुझे कोई आराम नहीं महसूस हुआ बल्कि नए फफोले आते ही जा रहे हैं उस डाक्टर ने अपने डायग्नोसिस में Impetigo Eczematidus Bulla नामक रोग लिखा है। मेहरबानी करके तुरंत आराम देने वाला उपाय बताएं। मैं मांसाहार करता हूं लेकिन कोई व्यसन नहीं है,भूख कम ही लगती है।
संजय नारंगणे, नोयडा
संजय जी,आपकी बीमारी को आयुर्वेद की भाषा में "विस्फोट" कहते हैं। यह एक त्वचा रोग है जोकि भोजन में कफ-पित्त को दूषित करने वाले पदार्थों के सेवन करने से या कोई भी ऐसे कार्यों को अति तक करना जिससे कि ये दोष कुपित होकर रक्त को प्रभावित कर दें, होता है। आप सर्वप्रथम तो बाजारू साफ़्टड्रिंक्स का सेवन तत्काल बंद कर दीजिये जो शायद आपके मामले में रोग के मुख्य कारण सिद्ध हो रहे हैं इसके साथ नमक,मिर्च, खटाई, चाय, काफ़ी का प्रयोग भी बंद करना आपके लिये हितकर है। सबसे पहले आपकी कोष्ठशुद्धि अनिवार्य है जिसके लिये दो चम्मच एरण्ड का तेल(CASTOR OIL) एक कप हलके गर्म मीठे दूध के साथ मिला कर रात में सोने से पहले पी लें, लेकिन ध्यान रखिये कि जिस दिन रात में ये दवा लें उस दिन में बस खिचड़ी ही खायें और उसमें भी ज्यादा मात्रा में शुद्ध घी मिला कर(वनस्पति घी का प्रयोग न करें) । सुबह आपको इससे तीन चार बार दस्त होंगे जिससे घबराईये मत। जिस प्रकार गंदे कपड़े पर रंग नहीं चढ़ता उसी तरह यदि शरीर की भी शुद्धि न करी जाए तो दवाएं लाभ नहीं देतीं। तीन दिन तक आप इस जुलाब को लीजिये ताकि भलीभांति पेट साफ हो जाए। इसके बाद निम्न उपचार लीजिये --
१ . गंधक रसायन २० ग्राम + रस माणिक्य १० ग्राम + तालकेश्वर रस १० ग्राम को भली प्रकार घोंट कर मिला लें तथा कुल साठ बराबर मात्रा की पुड़िया बना लीजिये। सुबह- शाम को एक एक पुड़िया खदिरारिष्ट २ चम्मच+ महामंजिष्ठादि काढ़ा ४ चम्मच के साथ निगल लीजिये।
२ . नीम की सूखी पत्तियां १०० ग्राम + उसवा १०० ग्राम + मजीठ ५० ग्राम + सारिवा ५० ग्राम + चोपचीनी ५० ग्राम इन सबको गिलोय के रस के साथ घोंट कर मटर के दाने के बराबर की गोलियां बना लीजिये और एक एक गोली सुबह-दोपहर-शाम को जल के साथ लें लेकिन अगर ये सब कूटना पीसना संभव न हो सके तो इस पूरी औषधि के स्थान पर एक-एक गोली पंचतिक्त घृत गुग्गुलु सुबह-दोपहर-शाम को इसी प्रकार लीजिये।
३ . महामरिच्यादि तेल को छालों पर ऊपर से लगायें। ये दिन में कई बार लगाया जा सकता है।

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